हे कृष्ण ! टॉक्सिक रिश्ते में कैद आत्मा की पुकार-कैसे मिले मुक्ति?

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

कभी-कभी वो इंसान जिससे हम सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं, वही हमारी आत्मा को सबसे ज़्यादा चोट पहुंचाता है। जब रिश्ता गले का फंदा बन जाए, और सांस लेना भी भारी लगने लगे, तब उस बंधन से मोक्ष (मुक्ति) ही एकमात्र रास्ता होता है।

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लेकिन सवाल है — कैसे?

संकेत:

  • निरंतर अपमान या तिरस्कार

  • इमोशनल ब्लैकमेल और कंट्रोलिंग बिहेवियर

  • आपकी भावनाओं और आत्म-सम्मान की अनदेखी

  • लगातार थकान, चिंता या डिप्रेशन

  • अकेलापन, यहां तक कि भीड़ में भी

अगर इनमें से 3 या उससे ज़्यादा लक्षण हैं, तो यह रिश्ता आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रहा है।

क्यों मुश्किल होता है छोड़ना?

टॉक्सिक रिश्ते से बाहर आना आसान नहीं होता क्योंकि:

  • भावनात्मक निवेश हो चुका होता है

  • हमें लगता है कि “शायद वो बदल जाएगा”

  • डर – अकेलेपन का, समाज का, या नफरत का

  • या फिर गिल्ट – “शायद गलती मेरी ही है”

यही डर और भ्रम हमें सालों तक उस ज़हर में डुबोए रखते हैं।

मोक्ष का रास्ता

आत्मा से पूछिए — क्या मैं इस रिश्ते में सुरक्षित, सुना गया और समझा गया महसूस करता हूँ?
उत्तर शायद साइलेंस में होगा, लेकिन स्पष्ट होगा।

फोन, मैसेज, सोशल मीडिया या फिजिकल दूरी बनाएं।
“No Contact Rule” कई बार सबसे असरदार होता है।

उदासी, गुस्सा, दर्द — इन सबको महसूस करें।
जर्नलिंग, रोना, आर्ट या कोई रचनात्मक आउटलेट चुनिए।

काउंसलिंग में कोई शर्म नहीं।
मन की गाँठ खोलने के लिए कभी-कभी किसी प्रोफेशनल की मदद ज़रूरी होती है।

शौक, दोस्तों से मिलना, ट्रैवल, किताबें, मेडिटेशन – वो सब फिर से शुरू कीजिए जो कभी आपको “आप” बनाता था।

मन का मोक्ष

टॉक्सिक रिश्ते सिर्फ शरीर को नहीं, आत्मा को भी ज़ख्म देते हैं।
कुछ आध्यात्मिक उपाय:

गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय जाप रोज़ करें

मौन व्रत एक दिन का रखें

प्राकृतिक जगहों पर समय बिताएं (जैसे पहाड़, नदी किनारे)

ध्यान करें: “मैं स्वतंत्र हूँ, मैं पूर्ण हूँ।”

सच घटना

दिल्ली की एक महिला, अपने पति के कंट्रोलिंग नेचर से तंग आकर 10 साल बाद हिमालय में एक साध्वी से मिली।
वहां उसे सीख मिली:

“रिश्तों की बंदिशों से पहले अपने भीतर के डर का मोक्ष पाओ। बाकी सब आसान हो जाएगा।”

आज वो न सिर्फ आज़ाद है, बल्कि एक मेंटल हेल्थ कोच भी बन चुकी है।

टॉक्सिक रिश्ते से मोक्ष कोई पलभर में नहीं मिलता, लेकिन अगर आप सही दिशा में कदम बढ़ाएं तो आप खुद को फिर से पा सकते हैं।
कभी-कभी खुद को बचाना ही सबसे बड़ा प्यार होता है।

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